बचपनै रो
कीं नीं बच्यो अब
घर-गाम अर
सै’र रो
भूगोल तकात बदळग्यो
ओळयूं मांय
का सुपना मांय
नान्हों सो अेक पल
पळकै तो लागै जियां
अेक जूण मांय
दो जूण भोग ली हुवै ।
बचपनै रो
कीं नीं बच्यो अब
घर-गाम अर
सै’र रो
भूगोल तकात बदळग्यो
ओळयूं मांय
का सुपना मांय
नान्हों सो अेक पल
पळकै तो लागै जियां
अेक जूण मांय
दो जूण भोग ली हुवै ।