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गाँधी जी / सूर्यकुमार पांडेय

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अगर आज गाँधी जी होते!

क़दम-क़दम पर झूठ देखकर,
जाति-धर्म की फूट देखकर,
नहीं एक पल भी वो सोते।
अगर आज गाँधी जी होते!

युद्ध अशान्ति, देश में झगड़े,
हिंसा, रंगभेद के लफ़ड़े,
देख-देखकर नयन भिगोते।
अगर आज गाँधी जी होते!

बम, बन्दूक़, छुरे की भाषा,
उग्रवाद का देख तमाशा,
सत्य-न्याय के बिरवे बोते।
अगर आज गाँधी जी होते!

सत्याग्रह, अनशन के द्वारा,
करते वे कल्याण हमारा,
एक सूत्र में हमें पिरोते।
अगर आज गाँधी जी होते!