Last modified on 18 जुलाई 2015, at 16:26

कगार / सिल्विया प्लाथ

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:26, 18 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिल्विया प्लाथ |अनुवादक=रश्मि भा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह पूर्ण थी
उसके मृत शरीर
ने ओढ़ रखी है मुस्कान उपलब्धि की
उसके पहने गए चोगे के सिलवटों में
यूनानी होने का भ्रम झाँकता है
उसके नंगे पैर यह कहते लग रहे
कि हम बहुत दूर चल चुके, अब ख़त्म है यात्रा
मृत बच्चों के शरीर लिपटे हैं जैसे कि
कुण्डली मारे एक सफ़ेद साँप
दूध से भरे नन्हें पात्रों पर
जो अब ख़ाली है
औरत ने उन्हे फिर से अपनी देह में समेट लिया है
उन गुलाब की पँखुड़ियों की तरह
जो समेट लेता है ख़ुद को सोते हुए बगीचे के साथ
जब फैली होती है रातरानी की तीक्ष्ण गन्ध
चाँद के पास दुख मनाने जैसा कुछ नहीं
वह ताकता है अपने हड्डियों के नकाब से
उसे आदत है ऐसी चीज़ों की
उसका अन्धकार चीख़ता है
खींचता है

मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : रश्मि भारद्वाज