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प्रस्थान / आन्ना अख़्मातवा

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मैं तुम्हें सचेत करती हूँ
कि मैं जा रही हूँ आख़िरी बार --

न कुएँ में भरे जल की तरह,
न नरकुल, न सितारों की तरह,
न दूर बजती घण्टियों की तरह

मैं तंग नहीं करूँगी लोगों को
टपकूँगी नहीं उनके सपनों में
जैसे टपकती है कराह
या जैसे आर्तनाद

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : सुधीर सक्सेना