Last modified on 1 अगस्त 2015, at 00:13

दिल / पेटर रोज़ेग्ग

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:13, 1 अगस्त 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पेटर रोज़ेग्ग |अनुवादक=प्रतिभा उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिल है हमारा
एक वीणा
दो तारों वाली वीणा

एक तार में है
कोलाहल ख़ुशी का
और दूसरे में
कराहता है दर्द

और करती हैं
भाग्य की दक्ष उँगलियाँ
उस पर सतत् नाद
आज विवाह के सरस गीत
कल नीरस शोकगीत ।