Last modified on 29 जनवरी 2008, at 19:12

भालू बोला / तारादत्त निर्विरोध

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:12, 29 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डा तारादत्त निर्विरोध |संग्रह= }} Category:बाल-कविताएँ कहा ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कहा शेर ने हम तो हम हैं

और दूसरे कम

जंगल के राजा से ज़्यादा

नहीं किसी से कम ।


भालू बोला, पिंजरे में यदि

बंद हो गए तुम

राजाजी तब कहाँ रहोगे ?

कहाँ रहेगा दम ।।