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पुनरागमन / हेनरिख हायने

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तुम एक पुष्प की तरह हो
इतनी प्यारी और सुन्दर और अनाघ्रात,
देखता हूँ तुम्हें मैं और उदासी
घर कर जाती है ह्रदय में मेरे ।

मन करता है मेरा कि अपने हाथ
रख दूँ शीश पर तुम्हारे,
प्रार्थना करते हुए कि भगवान् बनाए रखे तुम्हें
इतना ही विशुद्ध, दिव्य और आकर्षक ।।

मूल जर्मन से अनूदित -- प्रतिभा उपाध्याय