नदियाँ
नदियाँ हैं
और बताती भी हैं
कि वे नदियाँ हैं
तो
समन्दर को
किस बात का जौम है
क्यूँ नहीं बताता
वह वाकई समन्दर है
क्यूँ नहीं वह
शान्त कल-कल
निर्मल मीठा नदी-सा
क्यूँ है
हर पल
खारा ही खारा
दहाड़ता
सुनामियों
प्रलय की
संभावनाओं से भरा