Last modified on 30 सितम्बर 2015, at 00:38

समय नहीं है / अश्वघोष

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:38, 30 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वघोष |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नानी-नानी! कहो कहानी,
समय नहीं है, बोली नानी।
फिर मैंने पापा को परखा,
बोले-समय नहीं है बरखा।

भैया पर भी समय नहीं था,
उसका मन भी और कहीं था।
मम्मी जी भी लेटी-लेटी,
बोलीं-समय नहीं है बेटी।

मम्मी, पापा, नानी, भैया,
दिन भर करते ता-ता-थैया।
मेरी समझ नहीं आता है,
इनका समय कहाँ जाता है!