Last modified on 30 सितम्बर 2015, at 05:28

छूटा छक्का / सूर्यकुमार पांडेय

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:28, 30 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यकुमार पांडेय |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भीड़-भड़क्का
धक्कम-धक्का,
क्रिकेट खेलने
पहुँचे कक्का।

छक्का-चौका
चौका-छक्का,
हुए बेचारे
हक्का-बक्का।

पीकर मट्ठा
खाकर मक्का
‘मैं खेलूँगा’
-बोले कक्का।

जैसे एक
खिलाड़ी पक्का,
चले अकड़ते
ऐसे कक्का।

गेंद लगी
हो गए मुनक्का,
चौका भूले
छूटा छक्का!