Last modified on 5 अक्टूबर 2015, at 11:38

चक्खन मियाँ / मंगरूराम मिश्र

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:38, 5 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंगरूराम मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चक्खन मियाँ एक दिन घर में लगे पकाने खाना,
पहली बार जिंदगी में था चूल्हा पड़ा जलाना!
खर पतवार इकट्ठी करके फूँक जोर की मारी,
निकली लपट लपककर ऐसी जली मियाँ की दाढ़ी!