Last modified on 5 अक्टूबर 2015, at 21:02

पानी बरसा / राजेश जोशी

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:02, 5 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश जोशी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आए बादल, बादल आए,
पानी जेबों में भर लाए।
इतने सारे ताल-तलैया,
दैया...दैया, दैया दैया।
कहो, कहाँ से तुम भर लाए?
‘जेबों में भी कहीं ठहरता पानी बुद्धू’
बादल के पापा चिल्लाए!
जेब उलट दी उसने झटपट,
पानी बरसा टप-टप, टप-टप!
बादल के पापा मुस्काए।