ये अलिखित ही रहें
तनहाइयाँ, फिसलनें
ना उम्मीदियाँ, उलझनें,
तनाव, सिलवटें,
सुझाव, करवटें,
ये अलिखित ही रहें.
कोरे कागज़ का दर्द
यों ही बहुत होता है,
स्याही पी पी कर वह
और बड़ा होता है !!!
ये अलिखित ही रहें
तनहाइयाँ, फिसलनें
ना उम्मीदियाँ, उलझनें,
तनाव, सिलवटें,
सुझाव, करवटें,
ये अलिखित ही रहें.
कोरे कागज़ का दर्द
यों ही बहुत होता है,
स्याही पी पी कर वह
और बड़ा होता है !!!