Last modified on 5 फ़रवरी 2008, at 00:34

आठ : स्त्री / धूमिल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:34, 5 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धूमिल |संग्रह =सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र / धूमिल }} म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुझे पता है

स्त्री--

देह के अंधेरे में
बिस्तर की
अराजकता है ।

स्त्री पूंजी है

बीड़ी से लेकर

बिस्तर तक

विज्ञापन में फैली हुई ।