Last modified on 6 दिसम्बर 2015, at 01:32

मेडलिन / मुइसेर येनिया

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:32, 6 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुइसेर येनिया |अनुवादक=मणि मोहन |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अब आप कोलम्बिया में हैं
मेडलिन
जहाँ यथार्थ स्वप्न बन गया था
ईश्वर ने जैसे एक स्वप्न देखा था
जिसे वो इस धरती पर छोड़ गया
अब आप इस नए संसार में हैं

लोगों के चेहरों पर
फूलों के बीज हैं
पहाड़ लोगों की निगाहों से ऊँचे हैं
घास, अज्ञात लोगों के हाथ हैं
यह सूर्य इतना गर्म है कि वो चाट रहा है लोगों के हृदय
आप एक नए स्वप्न के भीतर हैं

माएँ जन्म दे रही हैं रंगों को
काला, आनुवांशिक, स्पेनिश
फल बहुत मीठे हैं, जुबान की जानकारी से ज्यादा

यह वो जगह है जहाँ यथार्थ
स्वप्न बना था ।