Last modified on 19 दिसम्बर 2015, at 01:07

आस्‍था / सबीर हका

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:07, 19 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सबीर हका |अनुवादक=गीत चतुर्वेदी |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे पिता मज़दूर थे
आस्‍था से भरे हुए इंसान

जब भी वह नमाज़ पढ़ते थे
(अल्‍लाह) उनके हाथों को देख शर्मिंदा हो जाता था।

अँग्रेज़ी से अनुवाद -- गीत चतुर्वेदी