Last modified on 13 जनवरी 2016, at 18:13

गोठ बिछनी / यात्री

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:13, 13 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRachn...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बीछि रहल छैं बंगोइठा तों
घूमि घामि कएँ बाध-बोनमे
पथिआ नेने भेल फिरई छैं
तिनू खूट, चारिओ कोनमे
मैल पुरान पचहथ्थी नूआ
सेहो फाटल चेफड़ी लागल
देहक रङ जमुनिआ, तइपर
मुँह माइक गोटीसँ दागल

बगड़ा जेना लगाबाए खोंता
तेहने रुच्छ केस छउ तोहर
दू छर हारी मात्र गराँमे
केहने विचित्र भेस छउ तोहर

माघक ठार, रौद बैसाखक
तोरा लेखे बड़नी' धन सन
दीन बालिके अजगुत लागए
केहेन कठिन छउ तोहर जीवन

कने ठाढ़ी हो, सुन कहने जो
नाम की थिकउ, कतए रहइ छैं
बीतभरिक भए कोन बेगतें
एते कष्ट आ दुक्ख सहई छैं