Last modified on 22 जनवरी 2016, at 10:33

सहेलियाँ / देवयानी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:33, 22 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवयानी |अनुवादक= |संग्रह=इच्छा न...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अब भी एक-दूसरी के जीवन में
बनी हुई है उनकी ज़रूरत
बीते समय के पन्नों को पलटते हुए कभी
झाँक जाता है जब
किशोरपने का वह जाना-पहचाना चेहरा
मुस्कान की एक रेखा
देर तक पसरी रहती है होठों पर

अनेक बार
मन ही मन
अनेक लम्बे पत्र लिखे उन्होंने
इच्छाओं की उड़ानों में
कई बार हो आती हैं एक-दूसरी के घर

खो जाती हैं
एक-दूसरी के काल्पनिक सुखों के संसार में
सचमुच के मिलने से बचती हैं

एक-दूसरी के सुख के भ्रम में रहना
कहीं थोड़ी-सी उम्मीद को बचा लेना भी तो है