Last modified on 23 जनवरी 2016, at 21:51

पंछी-एक / हरि शंकर आचार्य

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:51, 23 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि शंकर आचार्य |संग्रह= मंडाण / नी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खुलै आभै मांय
मुगत उडतो पंछी
सै सीमावां
सै बंदिसां नैं तोड़’र
पूगावै
सांति अर भायलापणै रो सनेसो
जगत रै छोटै सूं छोटै जीव तांई।
आपरी अठखेल्यां रै मायाजाळ मांय
मिनख रै बणायोड़ी अबखायां सूं
डर्यै बिना पूगावै,
भेळप रो सनेसो
दसूं दिसावां री सांतरी जगावां तांई।