ये हमको ठीक करने का नया अन्दाज़ है जो
कहीं बीमार पड़ जाए न चारासाज़ है जो
तुझे तो फ़ख़्र होना चाहिए मेरी बलन्दी पर
तेरी तहरीक ही तो है मेरी परवाज़ है जो
जो कहना चाहता है कुछ मगर कुछ कह नहीं पाता
उसी की ख़ामुशी है ये मेरी आवाज़ है जो
मोहब्बत ने अता की है हमें ऐसी समझदारी
भरोसा उस पे हम करते हैं धोकेबाज़ है जो
वो अपनापन दिखाते हैं तो ये भी ध्यान रखते हैं
कभी खुलने न पाए अपनेपन में राज़ है जो