Last modified on 22 फ़रवरी 2008, at 22:12

मुगल गार्डन / राजी सेठ

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:12, 22 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजी सेठ }} हमने मान लिया<br> फूल तुम्हारे हैं<br> फल तुम्हा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमने मान लिया
फूल तुम्हारे हैं
फल तुम्हारे हैं
मखमली दूब तुम्हारी है
संतरी तुम्हारे हैं

मान लिया
उस चौहद्दी के बीच का आसमान
तुम्हारा है
सरहदों से टकरा कर आती हवा
तुम्हारी है

तुम भी जान लो
जड़ें हमारी हैं
खाद हमारी हैं
तुम्हें चौहद्दी भर धूप दे देने वाला
आकाश हमारा है
प्रकाश हमारा है
ढलावों से बहता आता पानी हमारा है
बीजों को लाद लाती हवा हमारी है
शेष सारी धरा हमारी है।