Last modified on 23 फ़रवरी 2008, at 00:15

याद / रति सक्सेना

Pratishtha (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 00:15, 23 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रति सक्सेना }} '''याद-1<br><br> खिड़की बन्द कर दी<br> दरवाजा पलट ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

याद-1

खिड़की बन्द कर दी
दरवाजा पलट दिया
रोशनदानों के कानों में
कपड़ा ठूँस दिया

कोई सूराख ना रहा जिसे
बन्द ना किया गया
न जाने कब और कैसे
याद से घर भर गया

याद-2

पहली याद आई
तिनका धर चली गई
दूसरी ने तिनकों पर
सजा दिए तिनके
घौंसला चहचहा उठा

याद-3

मानसून का रुख बदला
हवा सूख कर चिमट गई
थम गईं साँसे
बादल टकरा उठे फैंफड़ों से

फरफराती कुछ बून्दे
नाचती पत्तियों पे
बरसात क्या आई
यादें बरस गईं