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नानी / अमरेन्द्र

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अ सें अक्खज ऊ सें ऊन
नानी जैती देहरादून
क सें कौआ ख सें खाल
नानी केरोॅ गलै नै दाल
ग सें गुल्ली घ सें घूस
केना काटतै नानी पूस
च सें चुक्का छ सें छाल
चलतें रहै छै नानी गाल
ज सें जातोॅ झ सें झोंक
नाना भरगर नानी फोंक
ट सें टूसोॅ ठ सें ठूँठ
नानी सहै नै कटियो झूठ
ड सें डब्बू ढ सें ढोल
नानी रोॅ सब दाँते गोल
त सें तुमड़ी थ सें थान
नानी रोॅ नाँती जजमान
द सें दमड़ी ध सें धोॅन
नानी चूल-सनांठी सोॅन
न सें नाना प सें पान
नान्है पर नानी रोॅ ध्यान
फ सें फदकी ब सें बाँस
खनखन नानी सहै नै झाँस
भ सें भगतिन म सें माय
नानी हमरी सुद्धि गाय
य से युक्ति र सें रीत
नानी खैथौं गावै गीत
ल सें लट्ठी व सें वाह
नानी रोॅ चाय्ये पर चाह
स सें सुइया ह सें होॅर
नानी रहतें केकरोॅ डोॅर ।