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बरसी फुहारें / रजनी मोरवाल

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रूह तक बरसी फुहारें
बारिशों की आज ।

खिल उठी धरती गगन का
मिल रहा है प्यार,
शाख पर पाया गुलों ने
प्रीति का संसार,
मिट रही है दूरियाँ
लो ख़्वाहिशों की आज ।

भीग कर आसक्ति से
यौवन हुआ मदहोश,
सब्र ने पैग़ाम भेजा
उम्र को ख़ामोश,
आ रही ख़ुशबू फिज़ां में
साज़िशों की आज ।

लड़कियों ने खूब ओढ़ा
तितलियों-सा रंग,
प्रश्न चूनर ने किया यह
क्या रचा है ढंग,
महफ़िलें सजने लगी
फिर कहकशों की आज ।