बहुत, बहुत दूर रहता है वह
तारे का उजास बिखरा रहता है
तारे के आसपास
और इसलिए
वह नहीं दिखाई देता
केवल देह का अंगार
दूर शून्य से
छिटक-छिटक कर आता रहता है!
मूल बँगला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी
बहुत, बहुत दूर रहता है वह
तारे का उजास बिखरा रहता है
तारे के आसपास
और इसलिए
वह नहीं दिखाई देता
केवल देह का अंगार
दूर शून्य से
छिटक-छिटक कर आता रहता है!
मूल बँगला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी