Last modified on 8 जून 2016, at 08:48

दिनेश दास / परिचय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:48, 8 जून 2016 का अवतरण ('{{KKRachnakaarParichay |रचनाकार=दिनेश दास }} '''दिनेश दास''' जन्म : 16 सि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिनेश दास

जन्म : 16 सितम्बर, 1913 निधन : 13 मार्च, 1985 उपनाम : जन्म स्थान : अलीपुर, कोलकाता कुछ प्रमुख कृतियाँ : श्रेष्ठ कविताएँ, भूख मिछिल (भूखों का जुलूस), राम गैछे वनवासे (वनवास को गए हैं राम), कांचेर मानुष (काँच के लोग), कास्ते (हँसिया) विविध : रवींद्र पुरस्कार, नज़रुल पुरस्कार, निखिल बंग साहित्य सम्मलेन सम्मान,


जीवनी : दिनेश दास

बंगाल के सुप्रसिद्ध जनवादी कवि तथा स्वतंत्रता सेनानी। आप नमक सत्याग्रह में गाँधीजी के साथी रहे। 16 सितंबर, 1913 को अलीपुर, कोलकाता में जन्म। जीवन की जटिलतर स्थितियों के महीन विश्लेषण, अपने प्रयोगवादी अनूठे प्रतीकों तथा सर्वथा नवीन बिम्बों की वजह से चर्चित दिनेश दास का पहला कविता-संग्रह 1941 में प्रकाशित हुआ था। अहल्या, काँच के लोग, असंगति, वनवास को गए हैं राम --- आपके प्रमुख कविता-संग्रह हैं।

दिनेश जी की कविताओं में आधुनिक समय के तमाम अनिवार्य प्रश्न, चिन्ताएँ, प्रत्याशाएँ तथा स्वप्न विद्यमान हैं। सहज काव्यभाषा में अभिव्यक्ति के दुर्लभ कौशल ने उन्हें उनके समकालीनों के बीच एक पृथक पहचान दी थी। जीवन और समाज की गहन जटिलता को विश्लेषित करती उनकी कविता अपने राजनैतिक आशयों और पक्षधरता को लेकर भी पारदर्शी रही है। उनके बारे में सुविख्यात बँगला कवि सुभाष मुखोपाध्याय ने एक बार कहा था -- ‘दिनेश दास अपनी कविताओं में जिस तरह स्निग्ध और आडंबररहित हैं, वैसे ही वे भीतर से भी अकपट हैं।’ (आनंदबाज़ार पत्रिका, 23 मई, 1983)

महत्त्वपूर्ण साहित्यिक अवदान के लिए दिनेश जी को रवीन्द्र पुरस्कार, नज़रुल पुरस्कार, निखिल बंग रवीन्द्र साहित्य सम्मेलन सम्मान प्रदान किए गए। 1961 तथा 1974 में दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय सर्वभाषा कवि सम्मेलन में आपने बंगाल का प्रतिनिधित्व किया था। 13 मार्च, 1985 में दिनेश दास का देहावसान हो गया।