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माय / सकलदेव शर्मा

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माय तेॅ माय छेकै
हमरोॅ अंतस में बैठलोॅ
जस के तस आइयो
सांस ले रहलोॅ छै ।

देह नै छै तेॅ कि
बिना देह के
उ हमारा मेॅ जिंदा छै ।

जा तक हम्मे जिंदा छियै
हमरोॅ संग हमरोॅ
माइयो जिंदा रहतै ।

जन्मौती के पैहिने
हम्मे रहियै
माय के अंतस या
ओकरोॅ सांस-सांस मेॅ !

आबे तेॅ माइये छै हमरोॅ
सांस-सांस आ अंतस मेॅ
तोहीं कहोॅ हमारा बिना -
माय केना रहतै
या माय के बिना
हममे केना रहबै ?