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बेटी / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

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माय गे हम्मे तोराॅे रुनुकि-झुनुकी बेटी छिकियौ ना
माय गे केहने भेजले हमरा तौहैं दूर देशबा ना

माय गे कखनू नै भूलै छी हम्मे तोराॅे अंगना
सब्भे छूटी गेलै गुड्डा-गुड्डी सुपती-मौनी ना
राती सुतला मेॅ चली गेलिए अपनोॅ अंगना
तोरे बगलाॅे मेॅ ही सुतै छलिए अंचरा ओढ़ी ना
माय गे केहने रखले हमारा सेॅ तों दूरी एतना
माय गे हम्मे तोराॅे रुनुकि-झुनुकी बेटी छिकियो ना

हमारा मनोॅ मॅे तनियो टा आबॅे परैे कल ना
लोर आँखी सेॅ बहै छै माने छै नै कहना
बाबू कहै छेलै हुमराॅे बेटी रँ के कोय ना
वही बेटी के घराॅे मेॅ आबॅे कोनो मोल ना
रोजे ताकै छिये रस्ता भैया कहिया आइते ना
माय गे हम्मे तोरोॅ रुनुकि-झुनुकी बेटी छिकियो ना