Last modified on 14 जून 2016, at 10:21

तखनी / वसुंधरा कुमारी

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:21, 14 जून 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जबेॅ कभियो
अखबारोॅ में ई पढ़ी लै छियै
कि सड़क पार करतें
लड़की कुचलाय गेलै गाड़ी सेॅ,
मारी देलकै धक्का,
अस्सी बरसोॅ केॅ बूढ़ा केॅ
सौ मील के रफतार सेॅ चलतेॅ कारें,
घरोॅ में घुसी’ केॅ
साठ बरिस के महिला केॅ
ओकरे टहलुवां
गल्लोॅ रेती देलकै,
भरलोॅ-पुरलोॅ बस्ती के बीच
लहू सेॅ सनली
छटपटैतेॅ लड़की चीखथैं रही गेलै,
पिचका होलोॅ बूढ़ा के हाथ-गोड़
हिलतेॅ रही गेलै,
महिला के लहू
कोठरी से निकली केॅ द्वारी तक
आवी गेलै
मतरकि कोय नै ऐलै
ऊ सिनी केॅ बचाय लेॅ
उठाय लेॅ
तखनी हमरा खयाल आवी जाय छै
गाँव सेॅ दूर
शहर में नौकरी लेॅ बौवैतेॅ आपनोॅ भाय के
जिनके कारण
बसी गेलोॅ छै माय-बाबू शहर में
जे जुआनी भर सुनैतै रहलै
कि परदेश में सुक्खो के जिनगी से अच्छा छै
अपने गाँव में रही के
भुखले पेटे पानी पीबी सुती रहबोॅ।
तखनी हम्में अखबारोॅ में मँुह छिपाय केॅ
कपसी पड़ै छियै।