वह एक बहुत पुरानी बात थी
उसे भुला दिया जाना तय था
और तब जब कि कई ज़रुरी चीज़ें
भूलती रहती हूँ;
घर की चाभी,
ए०टी०ए०म कार्ड,
मेट्रो कार्ड,
फ़ीस और बिजली की रसीद,
वह एक ग़ैरजरूरी बात
कभी भुलाई नहीं जा सकी
अब तक फँसी है कण्ठ में
एक बेआवाज़ सिसकी की तरह