Last modified on 22 जून 2016, at 21:28

बरसात / श्रीउमेश

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:28, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीउमेश |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> को...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कोमल करिया रं छै, मोहै सगरो जहान
बिजली पीताम्बर के भान दरसावै छै ।
रस के समुद्र उमड़ैलें नभ मंडल में
घन-घन के नादोॅ में बौंसली बजावै छै ।
बौगला के पाँती मोती माला सोहै केसोॅ पर
विविध विलास मुक्त रस बरसावै छै ।
सावनोॅ के बादलोॅ के रूप धरी ‘श्री उमेश’
व्रज के बिहारी लाल नन्दलाल आवै छै ।