पिछड़ा हूँ इस क़दर
कि सच को
देख सकता हूँ
सच की तरह
थोड़ा-सा और पिछड़ जाऊँ
तो सच को
सच की तरह कह सकूँ
उससे भी अगर
ज़्यादा पिछड़ जाऊँ
तो सच को
सच की तरह कर सकूँ
यानी सच को
ख़ूबसूरत सच में
बदलते हुए मर सकूँ।
पिछड़ा हूँ इस क़दर
कि सच को
देख सकता हूँ
सच की तरह
थोड़ा-सा और पिछड़ जाऊँ
तो सच को
सच की तरह कह सकूँ
उससे भी अगर
ज़्यादा पिछड़ जाऊँ
तो सच को
सच की तरह कर सकूँ
यानी सच को
ख़ूबसूरत सच में
बदलते हुए मर सकूँ।