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धुनियाँ / पतझड़ / श्रीउमेश

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ढोंढू धुनियाँ धुनकी लेॅ केॅ ऐलोॅ छै मिसरोॅ कन आज।
रूइया केॅ धुनवाय केॅ मिसरें भरबैतै गिलेफ के साज॥
”बकधुँयँ-बकधुँयँ बकधुँय ँ धनियाँ धूनै छै रुइया।
रुइया धुनी, भरि गिलेफ, माँगै छै बें धागा सुइया॥
तागो कॅ गिलेफ देतै मिसरैनियों सुतती ओढ़ी केॅ
रुइया उड़लोॅ पुड़लोॅ जे छेॅ धुनियाँ लेलकोॅ बोढ़ी केॅ॥