जैसे चाशनी बनाते हुए
थोड़ा नमक डालने की सलाह दी जाती है
कि सहूलियत हो जाए
चाशनी को तार-तार होने की
वैसे ही इक चिट्ठी लिखना चाहती हूँ प्यार भरी
और उसमें इक शब्द डालना चाहती हूँ तिरस्कार
ताकि जब तुम हिकारत करो
तो सरल हो जाए मेरे लिए भी
तुमसे घृणा कर पाना