Last modified on 14 जुलाई 2016, at 13:59

बदलो / पूजा खिल्लन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:59, 14 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूजा खिल्लन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दुनिया नहीं उसे देखने का नज़रिया
बदल जाता है हर बार
जैसे शब्द पहले तत्सम था, अब तदभव है
कविता पहले तुक थी
अब लय है
और जितनी तेज़ी से बदल रही है दुनिया
उतनी ही तेज़ी से बदल रहा है अर्थ
और उसके प्रतिमान
लेखक नही पाठक जिसकी कुंजी है
अगर तुम पाठक हो तो बदलो,
चूँकि परिवर्तन अब अकेले
मेरे जैसे किसी लेखक के बस की बात नही।