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एकोॅ माथा पर / अमरेन्द्र

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एकोॅ माथा पर तितिर बुलै छै
कोय नै लै छै मोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।

खाली तमासा देखी केॅ हाँसै
केहनोॅ ई सब लोग
आरो आपनोॅ अच्छा होय के सब पीटै छै ढोल
तित्तर धीरेॅµधीरेॅ बोल ।

के बोलेॅॅ केकरा सें कुछछू
सबके एक्के चाल
आपना केॅ सब तेज बुझै छै, दुसरा केॅ भुसगोल
तित्तिर धीरेॅॅ-धीरेॅ बोल ।

सब मौका के मारलोॅ दीदी
सब सुक्खो ॅ के यार
जेकरा सें कुच्छु फायदा छै ओकरे आबेॅ मोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।

कटियो टा विस्वास करै छै
केकरौ पर नै कोय
बेसिये तेॅ भेड़िये छै दीदी पिह्नलेॅ भेंड़ के खोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।

मानलौं कि हमरोॅ गीतोॅ मेॅ
रस नै छै, नै बात
सुग्गा के अच्छा लागै छै सब केॅ टेढ़ो लोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।