चकय के चकधुम, मकय के लावा
केना केॅ कटतै समय हो बाबा ।
छुछुन्दर सर पर चमेली तेल
सन्यासी सर पर फुलै कठबेल
लते मोचारै, की होतै गाभा ।
मरै तरासोॅ सें रेत-घाट
सुखी केॅ सुइया नदी के पाट
लहू देहोॅ रोॅ दिखै छै रावा ।
अदरा-पुरबा छै मनझमाने
कहूँ नै पछियो केरोॅ ठिकाने
की जे बरसतै दखनाहा हावा ।
यहाँ-वहाँ छै बहै वैतरणी
के देतै आशीष फेरी सुमरनी
हाथोॅ मेॅ सब्भे के सुलगै छै आवा ।