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नसीब/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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गरीबोॅ घरोॅ में लेलौं जनम गरीबिये में हम्में पललों
माई हे गरीबे घरो में होलोॅ ब्याह जनम बेरथ भेलोॅ

दिन भरी कुटौनी पिसौनी करौं तैहियो नै पेट भरी अन्न
माई हे सभ्भे दिन जल के फलार जनम बेरथ भेलोॅ

डयोढ़ी पर जाय छी आरो पहर रात वादे आबै छी
माई हे ओकरो में कोबोॅ भरी अन्न जनम बेरथ भेलोॅ

बाबू जी के डयोढ़ी पर भाोज भात हमरोॅ ऐंगनमा में हे
माई हे छोटोॅ छोटोॅ बुतरु बिलखै छै जनम बेरथ भेलोॅ

काँही पर धुपे धूप खांली काँही तेॅ छाया ही छाया
माई हे विधि के विधान की देखोॅ जनम बेरथ भेलोॅ।