Last modified on 12 मार्च 2008, at 20:23

धारा / बलबीर माधोपुरी

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: पंजाबी के कवि  » संग्रह: आज की पंजाबी कविता
»  धारा


सोचता हूँ-

अचानक आए तूफान में

टूटे-गिरे पौधे को देखकर

करीब खड़े पुराने दरख़्तों पर

क्या–क्या न बीती होगी।


और याद आता है

दरख़्तों का जीवट

अपने आप ही फिर

कदमों में आ जती है फुर्ती

मुरझाये मन का परिन्दा

फिर से भरने लगता है

ऊँची उड़ाने।