Last modified on 20 मार्च 2008, at 00:57

मैं जिऊंगा / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:57, 20 मार्च 2008 का अवतरण (new)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं जिऊंगा

कल भी, परसों भी
और भी
बरसों भी,

लेकिन अब भूमि में गड़ कर नहीं,

पाँव से दब कर नहीं,

चेतक की टाप रख कर,

डट कर लड़ कर

चांद के सिर पर चढ़ कर !