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निन्दा / भावना मिश्र

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कितनी निन्दा है हमारे देश में
अंग प्रदर्शन करने वाली स्त्रियों की
संस्कृति के सारे ठेकेदार एकजुट हैं इस मुद्दे पर

वे अख़बारों में, टीवी चैनलों पर कलेजा फाड़ कर
निन्दा करते हैं ऐसी स्त्रियों की
और रात बीतते बरामद होते हैं
उन्हीं औरतों के बिस्तरों पर

उपभोग की दीर्घ शृंखला के एक छोर पर
उत्पाद है और दूसरी ओर उपभोक्ता
पुरुष हर रूप में है तारणहार