Last modified on 29 जुलाई 2016, at 06:06

बदलाव / विजयेन्द्र

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:06, 29 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजयेन्द्र |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कलिंग लड़ाय के बाद
हममें नै देखनें छेलियै
कौनो विजय रोॅ कतार
से पाली लै छेलियै मनोॅ में
हारी केॅ एकठो जीत के आस
एक दिन हारिये गेलियै ।
‘दुश्मन संहारणम्’ के बदला
‘बुद्धं शरणम्’ केॅ चुनलियै ।
अहिंसा के फूल सें
कटतें रहलै हमरोॅ दर्प ।
दर्पण कानी पड़लै
अतीत रोॅ गौरवशाली इतिहास
अजायब घर के चीज
बनी केॅ रही गेलोॅ छै ।
रामलीला-रासलीला के
कड़ी जोड़ी रहलोॅ छियै ।