Last modified on 5 अगस्त 2016, at 03:11

चुनौती / महमूद दरवेश

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:11, 5 अगस्त 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम मुझे चारों तरफ़ से बाँध दो
छीन लो मेरी पुस्तकें और चुरूट
मेरा मुँह धूल से भर दो
कविता मेरे धड़कते हृदय का रक्त है
मेरी रोटी का खारापन
मेरी आँखों का तरलता

यह लिखी जाएगी नाख़ूनों से
आँखॊं के कोटरों से, छुरों से
मैं इसे गाऊँगा
अपनी क़ैद-कोठरी में, स्नानघर में
अस्तबल में, चाबुक के नीचे
हथकड़ियों के बीच, ज़ंजीरों में फँसा हुआ

लाखों बुलबुलें मेरे भीतर हैं
मैं गाऊँगा
गाऊँगा मैं
अपने संघर्ष के गीत

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय