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जरियो रात / नवीन निकुंज

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जरियो रात नै भावै छै
तोहरोॅ याद सतावै छै।
आँखोॅ में छै लोर बहुत
मन के आग बुझावै छै।
आपने नै सब उसकै छै
सबकेॅ सब उसकावै छै।
केकरोॅ कोय सुनथैं ही नै
सब्भें शोर मचावै छै।
ओकरो कोय ठेलियैवे करतै
जे हमरा ठेलियावै छै।
लोर चुवै लोगोॅ के कहिनें
जों ‘नवीन’ मुस्कावै छै।