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वार्ता:युद्ध-विराम / अज्ञेय

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हमें बल दो, देशवासियो, हमें ज्योति दो, देशवासियो, असली किताब में यूँ लिखा है। मैंने इसे देशवासियों कर दिया यानि यो पर बिंदी लगा दी। मुझे लगता है ऐसा करना ग़लत है क्योंकि शायद संबोधन विभक्ति में देशवासियो ही सही रूप हो।

वार्ता --Sumitkumar kataria १०:०४, ३१ मार्च २००८ (UTC)