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मोॅन / अनिमेष कुमार

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मनेॅ कुछु सोचै छै,
कुछु पावै छै
कुछु हेराय छै
ढेरे बातोॅ केॅ निहारै छै
आपनो भीतरी सेॅ झाँकै छै।
मोॅन कखनू दुःखोॅ सेॅ
उदास होय छै,
कखनू खुशी सेॅ।
तरबतर हो जाय छै,
यहे तेॅ मनोॅ रोॅ महिमा छेकै।

जे समझै छै,
मनोॅ के महिमा केॅ
तेॅ वही समझेॅ पारै छै
जिनगी रोॅ सच्चाई केॅ
मनोॅ रोॅ सीमा, असीम छै
है येहोॅ पारोॅ मेॅ छै,
आरो वहोॅ पारोॅ मेॅ छै
है तेॅ चारो दिस छै
है तेॅ सबरोॅ साथोॅ मेॅ छै।