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सदस्य:राजेश शर्मा
राजेश शर्मा
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(जिस दिन रूप तुम्हारा देखा था निखार होते होते)
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जिस दिन रूप तुम्हारा देखा था निखार होते होते और बच गए हम भी उस दिन निर्विकार होते होते