Last modified on 26 सितम्बर 2016, at 21:30

बाढ़ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:30, 26 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बाढ़ केकरोॅ
बोहो में बहै छै के
यहाँ सगरे।

वर्फ पिघलै
क्रुद्ध छै हिमालय
के रोके लय।

बाढ़ की छेकै
मृत्यु करो हंकारोॅ
कत्तोॅ हाँक पारोॅ।

गाछ कटलै
हिमालय नंगा छै
गाँव गंगा छै।

बाढ़ आवै तेॅ
पत्थल पसीजै छै
काल रीझै छै।

केकरोॅ गंगा
आरो केकरो कोशी
बाढ़ मुझौसी।

नदी के पेटी
आदमी रोॅ बिछौना
तित्ती लगौना।

कोशी बाढ़ में
जाने-माल नै बहै
ममतो दहै।