अबे 2012!
तेरे जैसा साल न आये दोबारा।
तूने तो सारा देश ही निपटा मारा।
सबसे पहले तो छीना
कुश्ती का सितारा
एक्टिंग का किंग,
यानि दारा सिंह।
अभी दारा की याद को भूले भी नहीं थे अख़बार,
तब तक हमें अलविदा कह गए
राजेश खन्ना
यानि पहले सुपरस्टार।
फिर लगते रहे एक के बाद एक घाव,
मुम्बई में विलासराव।
उसके बाद ए के हंगल,
फिर बेस्ट डायरेक्टर यश अंकल।
मन करता था
बीच में ही कर दें तुझसे कट्टी,
तब तक रोड़ एक्सीडेंट में मारे गए
कॉमेडी किंग जसपाल भट्टी।
फिर तेरी भेंट चढ़ा बाल ठाकरे जैसा लाल,
फिर इंद्र कुमार गुजराल।
तू साले साल था, या काल!
दिसम्बर में भी तूने छोड़ा नहीं अपना गुर,
छीन लिये पंडित रविशंकर
ग़ायब हो गये सितार से सुर।
इतने पर भी भरा नहीं तेरा कोष,
दिल्ली में वहशियों की भेंट चढ़ गई
एक तेईस साल की निर्दोष।
इसके अलावा भी
कुछ अच्छा नहीं रहा तेरा बीहेव,
तूने ही लील लिये
संघ के सुदर्शन
और आस्था के जय गुरुदेव।
जो तुझसे बचे
उनकी भी हालत अच्छी नहीं है भाई,
राम जाने कैसे होगी इसकी भरपाई।
सचिन ने वन-डे में जाना छोड़ दिया,
लता मंगेशकर ने गाना छोड़ दिया,
रतन टाटा ने कमाना छोड़ दिया,
अन्ना ने आवाज़ उठाना छोड़ दिया,
और सातवें सिलैण्डर ने रसोई में आना छोड़ दिया।
वाह रे काले कालखण्ड,
इतिहास निर्धारित करेगा तेरा दण्ड।
अच्छा हुआ तू बीत गया,
तुझे अंदाज़ा नहीं है
कि तेरे रहते कितना कुछ रीत गया।
काश ऐसा साल
फिर कभी जीवन में न आए!
जाते जाते तू हम से ले ले
फ़ाइनल गुड बाय।