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बिदाई

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

(1)

ये बेरा गाये जाने वाला गीत म कन्या ओकर दाई, ददा, भाई अउ सब्बो मयारू-मन के पिरा भरे होथे। दाई ह दुख म इंहा तक की डारथे…

बेटी के संचरत जान पाइतेंव
अंडी के पान ला खा लेतेंव
कोखिया ला पार लेतेंव बांझ

बेटी ह घलो कतार हो जथे। वहू अनजान संग बने रिस्ता ले दुखी हे, जे ओला जीवन भर-बर ओकर घर ले बिलग करके लेगत हे। ओकर ले बिछड़त दाई ददा भाई बहिनी के पिरा नई देखे जाय…

रहेंव मैं दाई के कोरा ओ
अंचरा मा मुंह ला लुकाय ओ
ददा मोर कहिथे कुआं में धसि जइतेंव
बबा कथे लेतेंव बैराग, ओ बेटी
काहे बर ददा कुआं में धसि जाबे
काहे बर बबा लेबे बैराग
बालक सुअना पढ़न्ता मोर ददा
मोला झटकिन लाबे लेवाय

सब ला बेटी ले बिछुड़े के पिरा हे फेर दाई के पिरा सबले जादा होथे। आखिर वो का कर सकथे? ओकर कोख म पले बेटी ल सदा बर घर म तो नई रखे जा सके। बेटी ह पराया धन होथे। तेकर सेती दाई ह बेटी ल समझा-बुझा के आसिरवाद देथे…

मंगनी करेंव बेटी, जंचनी करेंव ओ
बर करेंव बेटी, बिहाव करेंव ओ
जा जा बेटी, कमाबे खाबे ओ
मार दिही बेटी, रिसाय जाबे ओ
मना लिही बेटी, त मान जाबे ओ
जांवर जोड़ी संगे, बुढ़ा जाबे ओ
सुख दुख के रद्दा, नहक जाबे ओ

(2)

मैं परदेसिन आवं
पर मुलुक के रद्दा भुलागेंव
अउ परदेसिया के साथ
दाई कइथे रोज आबे बेटी
ददा कइथे आबे दिन चार
भईया कइथे तीजा पोरा
भउजी कइथे कोन काम
मैं परदेसिन आवं
पर मुलुक के रद्दा भुलागेंव
अउ परदेसिया के साथ

(3)

अतेक दिन बेटी तैं घर मोर रहे वो
आज बेटी भये रे बिरान
झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया
मैं तो करी लेतेंव ददा संग भेंट
झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया
मैं तो करी लेतेंव दाई संग भेंट

अतेक दिन बहिनी तैं घर मोर रहे वो
आज बहिनी भये रे बिरान
झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया
मैं तो करी लेतेंव भाई संग भेंट
झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया
मैं तो करी लेतेंव भउजी संग भेंट

(4)

दुलरी के अंगना में एक पेड़ पारस
नोनी चिड़ियन करथे बसेर
आवत चिरईया मोर रूमझुम लगथे
नोनी जावत चिरईया सिमसान
संगी जहुंरिया दुनो बइठे ल अइहव
घर बेटी बिना रे अंधियार

(5)

नीक नीक लुगरा निमार ले वो
आवो मोर दाई, बेटी पठोवत आंसू हारे वो
नोनी के छूटगे महतारी वो
आवो मोर दाई, बुता तो होगे तोर भारी वो
चार दिन दाई तैंहर खीझेस वो
आवो मोर दाई, मया गजब तैंह करस वो
नोनी के घर आज छूटगे वो
आवो मोर दाई, बाहिर म घर ल बनाही वो
नोनी के जोर तुम जोरितेव वो
आवो मोर दाई, रोवथे डण्ड पुकारे वो
पहुंना तो नोनी अब बनगे वो
आवो मोर दाई, बेटी के विदा तुम करिदेव वो

(6)

दाई के रेहेंव में रामदुलारी
दाई तोरे रोवय महल वो
अलिन गलिन दाई रोवय
ददा रोवय मुसरधार वो
बहिनी बिचारी लुकछिप रोवय
भाई के करय दण्ड पुकार वो
तुमन रइहव अपन महल मा
दुख ला देइहव भूलाय वो
अंसुवन तुम झन ढारिहव बहिनी
सबे के दुखे बिसार वो
दुनिया के ये हर रित हे नोनी
दिये हे पुरखा चलाय वो
दाई ददा के कोरा मा रेहेन
अचरा मा मुह ला लुकाय वो
अपन घर तुमन जावव बहिनी
झन करव सोंच बिचार वो

(7)

घर के दुवारी ले दाई रोवथे
आज नोनी होये बिराने ओ
घर के दुवारी ले ददा मोर रोवथे
रांध के देवइया बेटी जाथे
अपन कुरिया के दुवारी ले भईया मोर रोवथे
मन के बोधइया बहिनी जाथे
भीतरी के दुवारी भउजी मोर रोवथे
लिगरी लगइया नोनी जाथे
दाई मोर रोवथे नदिया बहथे
ददा रोवय छाती फाटथ हे
हाय हाय मोर दाई
भईया रोवय समझाथे
भउजी नयन कठोरे वो

(8)

बर तरी खड़े हे बरतिया
बर तरी खड़े हे बरतिया
कि लीम तरी खड़े हे कहार

बर तरी खड़े हे बरतिया
बर तरी खड़े हे बरतिया
कि लीम तरी खड़े हे कहार

अइसन सैंया निरदइया
अइसन सैंया निरदइया
कि चलो चलो कहिथे बरात

दाई मोर रोवत हे महल में
दाई मोर रोवत हे महल में
कि ददा मोर रोवय दरबार

झिनबर डोला बिलमइतेंव
झिनबर डोला बिलमइतेंव
कि दाई संग करी लेतेंव भेंट

बड़े बड़े डोलवा चंदन के
बड़े बड़े डोलवा चंदन के
कि छोटे छोटे लगे हे कहार

अइसन सैंया निरदइया
अइसन सैंया निरदइया
कि चलो चलो कहिथे बरात

लकठा में खेती झन करबे गा
लकठा में खेती झन करबे
कि दुरिहा में बेटी झन बिहाय

लकठा के खेती गरवा खाथे गा
लकठा के खेती गरवा खाथे
कि दुरिहा के बेटी दुख पाय

तैं परदेसनिन हो गे वो
तैं परदेसनिन हो गे
कि जा परदेसिया के साथ

दाई कथे आबे रोज बेटी
दाई कथे आबे रोज बेटी
कि ददा कथे आबे दिन चार

भाई कथे आबे तीजा पोरा में
भाई कथे आबे तीजा पोरा में
कि भउजी कथे आये के का काम

अइसन सैंया निरदइया
अइसन सैंया निरदइया
कि चलो चलो कहिथे बरात
कि चलो चलो कहिथे बरात
कि चलो चलो कहिथे बरात